Ayurveda Encyclopedia: तिल

Friday, August 14, 2015

तिल

तिल के बीज जबरदस्त औषधीय गुणों की खान हैं और सदियों से इन्हें पारंपरिक तौर पर तमाम रोग निवारणों के लिए अपनाया गया है और चीन का पारंपरिक हर्बल ज्ञान मानता है कि आधुनिक संश्लेषित और रासायनिक दवाओं के अनेक साइड इफेक्ट्स को दूर करने के लिए तिल बेहद सक्षम है। हिपेटोटॉक्सिसिटी रसायनों के दुष्प्रभावों से होने वाली यकृत यानि लिवर की समस्या है। लिवर का काम हमारे शरीर से घातक रसायनों को दूर निकालना है जबकि सिंथेटिक दवाओं के सेवन से हम शरीर में पुन: घातक रसायनों को आमंत्रित करते हैं और यही रसायन लिवर को क्षति पहुंचाते हैं। सिंथेटिक और रसायनिक दवाओं की सही मात्रा लेने के बावजूद भी इनका दुरासर लिवर पर जरूर होता है। तिल के बीजों में एंटीइन्फ्लेमेटरी लिग्नन जिसे सेसामिन कहा जाता है, प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। लिग्नन वास्तव में पॉलीफिनॉल्स है जो यकृत के बेहतर स्वास्थ्य के लिए अतिमहत्वपूर्ण है, इसके अलावा ये कॉलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, डायबिटीस और आर्थरायटिस जैसी समस्या को कम करने में काफी मददगार हैं। तो फ़िर क्या? रोज २ चम्मच तिल के दाने चबाना शुरु कर दें..कमाल दिखने लगेगा, अब ये सिर्फ मैं ही नहीं कह रहा, आधुनिक विज्ञान की तमाम शोध रिपोर्ट्स के भी ऐसे दावे हैं